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देवभूमि उत्तराखंड आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत, मुखवा आकर मैं धन्य : पीएम मोदी

उत्तराखंड । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव में स्थित मुखीमठ मंदिर में पूजा-अर्चना की। उसके बाद उन्होंने हर्षिल में ट्रैक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाने के बाद विशाल जनसभा को संबोधित किया।
जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड की यह देवभूमि आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत है। चारधाम और अनंत तीर्थों का आशीर्वाद इसे प्राप्त है। जीवनदायिनी मां गंगा के इस शीतकालीन गद्दी स्थल पर आज एक बार फिर आकर, आप सब परिवारजनों से मिलकर मैं धन्य हो गया हूं।
उन्होंने मां गंगा की सेवा को अपना सौभाग्य बताया। बोले, मां गंगा की कृपा से ही मुझे दशकों तक उत्तराखंड की सेवा का सौभाग्य मिला है। मैं मानता हूं कि उन्हीं के आशीर्वाद से मैं काशी तक पहुंचा और अब सांसद के रूप में काशी की सेवा कर रहा हूं। इसीलिए मैंने काशी में कहा भी था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है। कुछ महीने पहले मुझे यह भी अनुभूति हुई कि जैसे मां गंगा ने मुझे अब गोद ले लिया है। यह मां गंगा की ही दुलार है, अपने इस बच्चे के प्रति उनका स्नेह है कि आज मैं उनके मायके मुखवा गांव आया हूं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ साल पहले जब मैं बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए बाबा के चरणों में गया था, तो बाबा के दर्शन-अर्चन के बाद मेरे मुंह से अचानक कुछ भाव प्रकट हुए थे और मैं बोल पड़ा था कि यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा। वो शब्द मेरे थे, भाव मेरे थे लेकिन उनके पीछे सामर्थ्य देने की शक्ति स्वयं बाबा केदारनाथ ने दी थी। मैं देख रहा हूं कि बाबा केदार के आशीर्वाद से धीरे-धीरे वो शब्द, वो भाव हकीकत में बदल रहे हैं। यह दशक उत्तराखंड का बन रहा है।
उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए हमारी डबल इंजन सरकार मिलकर काम कर रही है। चारधाम ऑल वेदर रोड, आधुनिक एक्सप्रेस वे, राज्य में रेलवे, विमान और हेलीकॉप्टर सेवाओं का विस्तार पिछले 10 वर्षों में तेजी से हुआ है। अभी कल ही केंद्रीय कैबिनेट ने केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट और हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। केदारनाथ रोपवे बनने के बाद जो यात्रा 8 से 9 घंटे में पूरी होती है, अब उसे लगभग 30 मिनट में पूरा कर लिया जाएगा। इससे बुजुर्गों और बच्चों के लिए केदारनाथ यात्रा और सुगम हो जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि टूरिज्म उत्तराखंड के लिए बहुत जरूरी है। मैं चाहता हूं कि उत्तराखंड में कोई भी सीजन ऑफ सीजन न हो, हर सीजन में टूरिज्म ऑन रहे। उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या इस एक दशक में तेजी से बढ़ी है। 2014 से पहले चारधाम यात्रा पर हर साल औसतन 18 लाख यात्री आते थे। अब हर साल लगभग 50 लाख तीर्थयात्री आने लगे हैं। यहां सर्दियों में पर्यटन के दौरान ट्रैकिंग और स्कीइंग जैसी रोमांचक गतिविधियां होती हैं, जो वाकई एक रोमांचक अनुभव है।
उत्तराखंड में धार्मिक यात्रा के लिए भी सर्दी एक खास समय है, क्योंकि इस मौसम में कई तीर्थ स्थलों पर विशेष अनुष्ठान होते हैं। यहां तक कि मुख्य गांवों में भी आप धार्मिक समारोह देख सकते हैं, जो हमारी प्राचीन और अनूठी परंपराओं का अभिन्न अंग हैं। हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड के बॉर्डर वाले इलाकों को भी पर्यटन का विशेष लाभ मिले। पहले सीमावर्ती गांवों को आखिरी गांव कहा जाता था। लेकिन हमने यह सोच बदल दी, हमने कहा कि यह आखिरी नहीं, हमारे प्रथम गांव हैं। उनके विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया गया। इस क्षेत्र के भी 10 गांव इस योजना में शामिल किए गए हैं।

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