°
, March 14, 2025 in
Breaking News
टॉप - स्टोरीजट्रेंडिंग न्यूज़तकनीकभारत
0

कुछ करने का समय आ गया , यूट्यूब पर अश्लील सामग्री से निपटने के लिए केंद्र को सुप्रीमकोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (18 फरवरी) को एक यूट्यूब शो के दौरान कथित रूप से अशोभनीय और अश्लील टिप्पणी करने के लिए सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ रणवीर इलाहाबादिया के खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को लेकर उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण तो दे दिया लेकिन उन टिप्पणियों के लिए इलाहाबादिया की कड़ी आलोचना भी की। इसी दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि यूट्यूब पर अश्लील सामग्री से निपटने के लिए कुछ करने का समय आ गया है। कोर्ट ने इस बाबत सख्त कदम उठाने और नियम बनाने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूट्यूब पर अश्लील सामग्री के नियमन की वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि कुछ करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि यूट्यूबर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नियमन की कमी का दुरुपयोग कर रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर सरकार यूट्यूब पर ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है तो पीठ को बहुत खुशी होगी। पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री के नियमन में कमी को दूर करने में अदालत की सहायता करने को कहा। कोर्ट ने वेंकटरमानी और मेहता को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का आदेश भी दिया। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उन्होंने कॉमेडियन समय रैना के ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो पर किए गए एक भद्दे मजाक को लेकर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोडऩे की मांग की थी। यह शो इस प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम किया गया था। इलाहाबादिया की टिप्पणियों से नाराज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘ज्उनके दिमाग में कुछ गंदगी है जिसे यूट्यूब के कार्यक्रम में उन्होंने उगला।’’ शीर्ष अदालत ने इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया की अमर्यादित टिप्पणियों के लिए उन्हें फटकार लगाते हुए उनके वकील से पूछा, ‘‘अगर यह अश्लीलता नहीं है तो क्या है? हमें आपके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को क्यों रद्द या एकसाथ नत्थी करना चाहिए।’’
उच्चतम न्यायालय ने यूट्यूब पर एक कार्यक्रम के दौरान इन्फ्लुएंसर द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा को लेकर सवाल उठाया और कहा कि समाज के कुछ मूल्य हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द बेटियों, बहनों, माता-पिता और यहां तक कि समाज को भी शर्मिंदगी महसूस कराएंगे।’’’ न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को भी समाज के मानदंडों के खिलाफ कुछ भी बोलने की छूट नहीं है। पीठ ने इन्फ्ल्युएंसर के वकील से पूछा, ‘‘समाज के मूल्य क्या हैं, ये मानक क्या हैं, क्या आपको पता है।’’ पीठ ने उनके वकील से कहा कि समाज के कुछ स्व-विकसित मूल्य हैं, आपको उनका सम्मान करना चाहिए। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ‘इन्फ्लूएंसर’ को राहत देते हुए उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ की दलीलों से सहमति जताई कि उन्हें किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। अधिवक्ता ने कहा कि इसके अलावा उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं। मुंबई और गुवाहाटी में दर्ज प्राथमिकी में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से इलाहाबादिया को संरक्षण प्रदान करने के अलावा पीठ ने यह भी कहा कि यूट्यूब कार्यक्रम ‘‘इंडिया’ज गॉट लैटेंट’’ के दौरान उनकी टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कोई और प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।
इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने विवादास्पद यूट्यूब कार्यक्रम पर इलाहाबादिया और उनके सहयोगी अन्य सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ को अगले आदेश तक कार्यक्रम की कोई भी अन्य कड़ी प्रसारित करने से रोक दिया। पीठ ने इलाहाबादिया को अपना पासपोर्ट ठाणे के पुलिस थाने में जमा करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जाएंगे। पीठ ने इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया को उनकी कथित अशोभनीय टिप्पणियों को लेकर महाराष्ट्र, असम में दर्ज प्राथमिकी की जांच में सहयोग करने का निर्देश भी दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Call Now Button
Enable Notifications OK No thanks