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देश में वित्तीय समावेशन में बड़ी भूमिका निभा रहा यूपीआई , डिजिटल लेनदेन में हिस्सेदारी बढ़कर 84 प्रतिशत हुई

नई दिल्ली । यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है और वित्त वर्ष 24 में भारत में हुए पांच डिजिटल लेनदेन में से चार यूपीआई के माध्यम से हुए थे। देश के सभी डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी बढक़र 84 प्रतिशत हो गई है। फिनटेक कंसल्टिंग और एडवाइजरी फर्म द डिजिटल फिफ्थ की रिपोर्ट में कहा गया कि यूपीआई एक पेमेंट सिस्टम से कहीं अधिक है और भारत के लिए यह एक पूरे इकोसिस्टम के रूप में काम करता है।
द डिजिटल फिफ्थ के संस्थापक और सीईओ समीर सिंह जैनी ने कहा, यूपीआई प्रति माह 16 अरब लेनदेन हैंडल करता है और 2030 के अंत तक इसके 3 गुना बढऩे का अनुमान है। ऐसे में मजबूत बुनियादी ढांचे की भूमिका सर्वोपरि हो जाती है। उन्होंने कहा कि रियल-टाइम में धोखाधड़ी का पता लगाना, क्लाउड-नेटिव आर्किटेक्चर और स्केलेबल, डुअल-कोर स्विच अब वैकल्पिक नहीं हैं, बल्कि वे सुरक्षित और फेल-प्रूफ डिजिटल पेमेंट सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।
2021 से 2024 तक यूपीआई लेनदेन में 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है और यह सालाना आधार पर बढक़र 172 अरब लेनदेन तक पहुंच गया है। डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी सबसे अधिक है और यह कार्ड-आधारित तथा वॉलेट लेनदेन से कहीं आगे निकल गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि 3 करोड़ से अधिक मर्चेंट यूपीआई से जुड़े हुए हैं। मर्चेंट-टू-कस्टमर सेगमेंट 67 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के साथ पीयर-टू-पीयर (पी2पी) लेनदेन की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश के डिजिटल भुगतान में यूपीआई की हिस्सेदारी 2019 में 34 प्रतिशत से बढक़र 2024 में 83 प्रतिशत से अधिक हो गई है। व्यापक स्तर पर यूपीआई लेनदेन की वॉल्यूम 2018 में 375 करोड़ से बढक़र 2024 में 17,221 करोड़ हो गई, जबकि लेनदेन का कुल मूल्य 2018 में 5.86 लाख करोड़ रुपये से बढक़र 2024 में 246.83 लाख करोड़ रुपये हो गया।

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