
भारत-बांग्लादेश की सीमा पर झड़प, बीएसएफ ने दागे आंसू गैस के गोले
नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से सटे बांग्लादेश की सुखदेवपुर सीमा पर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। जहां बांग्लादेश की सीमा पार कर भारत की ओर घुसपैठ की कोशिश की गई। जिसके बाद सुखदेवपुर के निवासियों ने बांग्लादेशी नागरिकों का पीछा किया। तभी दूसरी तरफ से पत्थर फेंके जाने लगे। बेकाबू हुइ स्थिति को देखते हुए बीएसएफ ने आंसू गैस के गोले दागे।
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश सीमा से भारत में प्रवेश करने के कई प्रयास हुए हैं। इससे पहले, भारतीय सीमा निवासियों द्वारा पीछा किये जाने के बाद बांग्लादेशी नागरिक भाग गये थे, लेकिन शनिवार को उन लोगों ने जबरन घुसने की कोशिश की। सुखदेवपुर सीमा पर डेढ़ किलोमीटर तक कोई फेंसिंग नहीं है। जब भी बीएसएफ ने कंटीले तार लगाने की कोशिश की, बीजीबी ने उसे रोक दिया था। दूसरी ओर जमीन में सुरंगें भी खोदी जाती देखी गईं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिक इस तरफ आकर फसल काट ले गए है।
बता दें कि शुक्रवार रात से सीमा पर तनाव जारी है। तभी स्थानीय निवासियों ने इसे रोक दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ ने आंसू गैस के गोले दागे। दूसरी ओर के निवासी पीछा करते हुए भाग गए। इससे पहले, बीजीबी ने सीमा पर कंटीले तार लगाने का बार-बार विरोध किया था। दूसरी ओर, बीएसएफ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शनिवार सुबह लगभग 11:45 बजे 119वीं वाहिनी की सीमाचौकी सुखदेवपुर के भारत- बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भारतीय और बांग्लादेशी किसानों के बीच एक मामूली कहासुनी के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। यह घटना उस समय हुई जब कुछ भारतीय किसान, सामान्य दिनों की तरह अपने अन्तरराष्ट्रीय सीमा के पास खेतों में काम करने के उद्देश्य से आगे गए हुए थे। इसी दौरान भारतीय किसानों ने सीमापार खेतों में काम कर रहे बांग्लादेशी किसानों पर फसल चोरी करने का आरोप लगाया, जिस वजह से दोनों देशों के किसानों के बीच आपसी बहस शुरू हो गई। घटना ने तूल तब पकड़ा, जब दोनों पक्षों के किसान बड़ी संख्या में एकत्र होने लगे और एक दूसरे पक्ष की तरफ गाली-गलौच व पत्थरबाजी करने लगे। काफी बड़े भाग में तारबंदी के न होने से भारतीय किसानों को भी आगे जाने में रुकावट का सामना नहीं करना पड़ा। घटना की सूचना मिलते ही बीएसफ और बीजीबी के जवानों ने मौके पर पहुंचकर अपने-अपने देश के किसानों को तितर-बितर करते हुए स्थिति को नियंत्रण में किया और उनको वापस लौटाया।

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