
वन कर्मी आधुनिक उपकरण की मदद से करेंगे हाथियों की निगरानी
० हाथी प्रभावित इलाकों में सुरक्षित मतदान कराने की तैयारी
कोरबा । वन अफसरों के लिए हाथी प्रभावित क्षेत्र में शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से चुनावी प्रक्रिया पूर्ण कराना चुनौती है। इस चुनौती से निपटने अफसरों ने तैयारी शुरू कर दी है। वन विभाग द्वारा हाथियों की निगरानी और सूचना आदान प्रदान करने अत्याधुनिक उपकरण की मदद ली जाती है। वन विभाग की टीम एलिफेंट ट्रैफेकिंग सिस्टम से हाथियों पर नजर रखेगी। हाथी के लोकेशन के आधार पर प्रभावित क्षेत्र के लोगों को तत्काल मोबाइल पर मैसेज मिल जाएगा। जिससे वे हाथी के आमदरफ्त के संबंध में जान सकेंगे। इसके अलावा वाट्स ग्रुप के माध्यम से भी लोगों को हाथियों के लोकेशन की जानकारी मिलेगी।
वन विभाग की टीम मतदान और मतों की गिनती पूर्ण होते तक क्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों पर नजर रखेगी। यदि हाथी मुख्यमार्ग अथवा आबादी वाले क्षेत्र की ओर रूख करते हैं, तो तत्काल ग्रामीणों के अलावा मतदान दल के सदस्यों को अवगत कराया जाएगा, ताकि वे हाथी के आमदरफ्त वाले क्षेत्र में जाने से बचें। यदि जरूरत पड़ी तो पूर्व की तरह गजराज वाहन से मदद पहुंचाई जाएगी। प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। नगरीय निकायों में नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रचार प्रसार ने जोर पकड़ लिया है। इधर ग्राम, जनपद और जिला पंचायत के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है। यह प्रक्रिया 6 फरवरी को चुनाव चिन्ह वितरण के साथ समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही ग्रामीण अंचल में भी चुनावी घमासान मच जाएगी। राजनैतिक दल के समर्थित और स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के प्रयास में जुट जाऐंगे। गांव गांव में बैठक का दौर भी शुरू हो जाएगा। इसमें हाथी प्रभावित क्षेत्र के प्रत्याशियों को भारी मशक्कत करनी होगी। उनके पास सूरज निकलने के बाद और शाम ढलने के बीच का ही समय रह जाएगा। ऐसे में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने प्रत्याशियों के पास सीमित समय और दिन होगा। वहीं वन अफसरों के लिए भी हाथी प्रभावित क्षेत्र में शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से चुनाव संपन्न कराना चुनौती है। यदि कटघोरा वनमंडल की बात करें तो एतमानगर, केंदई, पसान और जटगा के करीब सौ से अधिक गांव हाथी प्रभावित हैं, जहां मतदान के लिए बूथ बनाया जाएगा।
इसी तरह कोरबा वनमंडल में भी दर्जनों गांव शामिल हैं, जहां मतदान किया जाएगा। इन बूथों में दूर दराज से मतदाता अपने मतदान का प्रयोग करने पहुंचेगे। ऐसे तो त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान का समय सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित है, लेकिन निर्धारित समय में पहुंचे मतदाता के वोटिंग करते शाम ढल सकता है। इसके बाद ही चुनावी दल के सदस्य पंच, सरपंच सहित अन्य पदों के लिए मिले मतों को गिनती कर पेटी में बंद कर सकेंगे। इसे देखते हुए वन अफसरों ने हाथियों से सुरक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि चुनावी प्रक्रिया पूर्ण होते तक वन विभाग की टीम लगातार क्षेत्र में पहुंचेगी। वनकर्मी जंगल में विचरण कर रहे हाथियों की निगरानी करेंगे। खासकर मतदान के दिन वन अमला हाथी प्रभावित क्षेत्र में होगा। उनके द्वारा हाथियों के लोकेशन की जानकारी विभागीय अफसरों को दी जाएगी। यदि शाम ढलने के बाद हाथी जंगल से निकलकर आबादी वाले क्षेत्र या फिर मुख्यमार्ग की ओर रूख करते हैं, तो तत्काल ग्रामीण और मतदान दल के सदस्यों को अवगत कराया जाएगा। उन्हें हाथी के आमदरफ्त वाले क्षेत्र में जाने से रोका जाएगा। खास तो यह है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह त्रि- स्तरीय पंचायत चुनाव में भी जरूरत पडने पर गजराज वाहन से मदद पहुंचाई जाएगी।

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